श्री गणेशाय नमः। गणेश चतुर्थी पर पूजा पूरे विधि विधान से कैसे करें
श्री गणेशाय नमः
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
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हैलो दोस्तो स्वागत है आपका हमारे इस न्यू ब्लॉग में तो दोस्तो आज हम आपको बताने वाले है कल जैसा की आप सभी जानते होंगे गणेश चतुर्थी का बड़ा पर्व है किस प्रकार हम गणेश जी की पूजा अर्चना करें पूजा करने की सही विधि क्या है तो बने रहिए आप लोग हमारे साथ और ब्लॉग को पूरा read करें !
श्री गणेश चतुर्थी (31/08/2022)
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 31अगस्त 2022 बुधवार को गणेश चतुर्थी के दिन गणपतिजी की मूर्ति स्थापना की जायेगी । गणेश चतुर्थी के दिन घर मे कैसे करे। श्री गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना और पूजा ?आओ जानते है सरल विधि से ।
स्थापना व पूजा का शुभ मुहूर्त - सुबह 11:00 am से लेकर दोपहर 13:40 pm बीच गणेश जी की स्थापना करे यदि आप शाम को करना चाहते हो तो शाम 17:42 pm se 19:20 के बीच करें।
कैसे करें श्री गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना ।
(1) गणेश मूर्ति लाने से पूर्व घर और द्वार को सजाएं और पूजा की तैयारी करलें ।
(2) फिर विधिवत रूप से जयकारे के साथ गणेश जी को घर में मंगल प्रवेश कराएं मंगल गीत गाएं और आरती उतारें ।
(3) गणेश मूर्ति को स्थापित करने से पूर्व उत्तर दिशा को चुनें और कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं हल्दी या चंदन से चार बिंदी बनाएं ।
(4) फिर एक मुट्ठी में अक्षत (stool) रखें और उस पर लकड़ी का एक पाट रखें और उस पर लाल,पीला, या केसरिया रंग का कपड़ा बिछाएं ।
(5) पाट के सामने रंगोली बनाएं। और ताबें के कलस को मोली बांधकर पानी रखे उस पर आम के पत्तों को रखे व एक नारियल उसके ऊपर एक दीपक रखें जिस 🪔 दिया में घी लगाकर एक बाती बनाकर रखें ।
(6) आस पास सुगंधित धूप,अगरबत्ती दीप आरती की थाली आरती की पुस्तक व प्रसाद आदि पहले से रख लें ।
(7) स्थापना करने से पूर्व निम्न मंत्र को बोलें ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातू
ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातू ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातू ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातू ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातू बोलकर गणेश मूर्ति को स्थापित करें।
(5) फिर स्थापना के उपरांत यह मंत्र का जाप करें ।
गजाननं भूत गणादि सेवितं,
कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् ।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्,
नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥
गजाननं भूतगणाधिसेवितं,
कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम् ।
उमासुतं शोकविनाशकारकम्न,
मामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम् ॥
(1) गणेश जी को आसन या चौकी पर विधिवत विराजमान या स्थापित करने के बाद पंचोपचार पूजन का शुरुआत करें ।
(2) पहले मुट्ठी भर चावल को लेकर कलस और नारियल की पुजा करें , अब पूजा स्थल को केले के पत्तों से सजाएं और धूप दीप प्रज्वलित करें उन्हें माला पहनाए।
(3) माला पहनाने के बाद उन्हे तिलक लगाएं । फूल अर्पित करें फिर एक एक करके सभी पूजा साम्रगी को अर्पित करें ।
(4) फिर उन्हें लड्डु का भोग लगाएं और पूरी लगन , श्रद्धा आरती उतारें ।
(5) आरती गाएं सभी लोग मिलकर।
श्री गणेश जी की सम्पूर्ण आरती
जय गणेश, जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा॥
सूर श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा॥
आरती के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें
और अगर व्रत रखा है तो पलहार आदि ग्रहण करें ।
THANKS TO READ
KNOWLEDGE STATION
हैलो दोस्तो जैसा की आप सब जानते है मेरा नाम है अंकित कुमार और आज हमने आपको जो भी जानकारी दी है ।
अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी हो तो अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें धन्यवाद ।
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